गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

यादों की महफ़िल सजाए बैठा हूँ (संगीतमय)

सभी ब्लॉगर मित्रों को नववर्ष 2016 की शुभकामनाएं...
मित्रों ! यह साल जाने को है और नया साल आने वाला है | आज अपनी एक बहुत पुरानी रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ  | आशा है आप इसे भी अवश्य पसंद करेंगे.......

यादों की महफ़िल सजाए बैठा हूँ |
अपनी हर मुश्किल भुलाए बैठा हूँ |

यादें उनकी आ गईं वे आते नहीं,
जिनसे अपना दिल लगाए बैठा हूँ |

जब दुनिया रोती है आंसू बहते हैं,
ऐसे मैं खिलखिलाए बैठा हूँ |

कोई भी आ जाए मैं अपना लूंगा,
सबसे अपना दिल मिलाए बैठा हूँ |

यादों के दम से ही ये अपना जीवन,
जीने के काबिल बनाए बैठा हूँ |

इस महफ़िल में सबका आना-जाना है,
मैं तो सबको ही बुलाए बैठा हूँ |



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सभी ब्लॉगर मित्रों को नववर्ष 2016 की शुभकामनाएं...

रविवार, 22 नवंबर 2015

तूने आने में की जो देरी तो....(नई रिकार्डिंग)

आज अपने जन्मदिन पर मैं सभी मित्रों को आने का निमंत्रण दे रहां हूँ | अगर.......
(शेष YOUTUBE पर सुनिए..) 
 
तूने आने में की जो देरी तो।
याद आने लगेगी तेरी तो।

मैं इल्जाम तुम्हें ही दूंगा,
मेरी दुनिया हुई अंधेरी तो।

ढूंढता हूँ तुझे मंजिल-मंजिल,
ख़त्म होगी कभी ये फेरी तो।

करूँगा और इन्तज़ार अगर,
जान जाने लगेगी मेरी तो।

 
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बुधवार, 18 नवंबर 2015

आप कहते हैं हमसे ग़ज़ल छेड़िए


मैंने यह रचना ऐसे समय के लिए लिखा है जब गायक से किसी ग़ज़ल की फ़ारमाइश हो रही है किन्तु वह दुखी है......उसके मन की व्यथा इस रचना में आप यहाँ पढ़िए और YOUTUBE पर सुनिए.....


आप कहते हैं हमसे ग़ज़ल छेड़िए, कब तलक हम ग़ज़ल यूं सुनाते रहें |
अपने खोए हुए यार की याद से, कब तलक गम की शम्मा जलाते रहें |

ज़िंदगी ने हसीं हमको धोखा दिया,
पहले हमको मुहब्बत का मौका दिया,
फिर जुदाई की तनहाइयां आ गयीं, जिनको हम महफ़िलों में छुपाते रहे......

मेरे दिल में है गम चेहरे पे हँसी,
आप समझेंगे क्या मेरी ये बेबसी,
आप समझेंगे इसको भी मेरी अदा, गाते-गाते जो हम मुस्कुराते रहे.....

हर्फ़ अश्कों के हैं सुर मेरी आह के,
आप कैसे सुनेंगे इन्हें चाह से,
रो पड़ा गाते-गाते आप क्या जाने क्यों, आप तो तालियाँ बस बजाते रहे.....
 
 
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सोमवार, 16 नवंबर 2015

दर्शन दो प्रभु कबसे खड़े हैं

आप के लिए एक अपने लिखे भजन की नई रिकार्डिंग प्रस्तुत कर रहा हूँ जो आशा है आप अवश्य पसंद करेंगे.....

                               
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मंगलवार, 10 नवंबर 2015

आओ देखें मुहब्बत का सपना (एक प्यार भरा नगमा)

आप सभी के लिए दीपावली के अवसर पर एक प्यार भरा गीत हम दोनों पति-पत्नी प्रस्तुत कर रहे हैं......आशा है आप इसे सुनकर टिप्पणियों के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त करेंगें......

आओ देखें मुहब्बत का सपना |
एक डोर में बंधेंगें, प्यार हम-तुम करेंगें, 
एक छोटा-सा घर होगा अपना |

चाँदनी रात में छत पे सोये हुए,
एक दूजे की बाँहों में खोये हुए,
आँखों की पुतलियों की हसीं झील में,
अपनी परछाईयों को डुबोए हुए,
मीठी बातें करेंगें, मुलाकातें करेंगें,
पूरा होगा शब-ए-फुरकत का सपना.......
आओ देखें मुहब्बत का सपना |

मिले ऐसे कि हम कभी बिछड़े नहीं,
बने तस्वीर ऐसे की बिगड़े नहीं,
प्यार से प्यार की है ये बगिया खिली,
प्यार का चमन कहीं उजड़े नहीं,
और क्या हम करेंगें, ये दुआ हम करेंगें,
कभी पड़े ना बिछड़ कर तड़पना........
आओ देखें मुहब्बत का सपना |
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आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें......
कृपया आप मेरी बेटी का नया गीत सुनने का कष्ट करें...धीरे-धीरे से मेरी ज़िन्दगी में आना  

शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2015

दो गज़लें.....

अपनी दो गज़लें  आप की नज़र कर रहा हूँ | आशा है आप अवश्य पसंद करेंगे.....
                        (१)
ज़िन्दगी जीना बहुत दुश्वार है |
जिसको देखो हाथ में तलवार है |

लूटकर वो पूछने आये हैं हाल,
दोस्तों का अब यही व्यवहार है |
देवता लगता है कोई आदमी,
कोई तो शैतान का अवतार है |
ज़िन्दगी चलती रही तो ज़िंदगी,
रुक गयी तो मौत की दीवार है |
बेटियाँ लाठी बने जब बाप की,
तब सुरक्षित जानिए संसार है |
सारी दुनिया ये मिसाइल दागती,
प्यार हिंदुस्तान का हथियार है |
                  (२)
कुछ बुरे हैं कुछ भले किरदार हैं |
इस जहाँ में फूल हैं कुछ खार हैं |

आप कीचड़ में न पत्थर फेकिए,
राजनीतिक चोट के आसार हैं |
कम पढ़े जो काम करते हैं बहुत,
जो पढ़े हैं काम से लाचार हैं |
चैन से वो झोपड़ी में सो गए,
जागते वो,जिनके बंगले,कार हैं |
मृग ने शावक से कहा जाना नहीं,
उस तरफ इंसान हैं, खूंखार हैं |
असलियत में मित्र कोई भी नहीं,
फेसबुक पर सैकड़ों हैं, हज़ार हैं |
जोड़ने को जब बहुत से एप्स हैं,
तब बिखरने क्यों लगे परिवार हैं | 

( काव्योदय के फ़िलबदीह 140 से हासिल )
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आप सभी को दशहरा की शुभकामनाएं....

शनिवार, 15 अगस्त 2015

भारत माँ के बच्चे हम.....

आज स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति पर एक बाल-कविता प्रस्तुत है....

भारत माँ के बच्चे हम, करें राष्ट्र का अभिनन्दन । 
न-मन-धन सब इस पर वारें, भारत माँ का करें वंदन 

हम सब इसके प्यारे तारे, ये है अपना नील गगन, 
मिल-जुलकर हम करें जतन यह बन जाए सुन्दर उपवन
महकाएं अपनी सुगंध से इस दुनिया का हर गुलशन.…
भारत माँ के बच्चे हम, करें राष्ट्र का अभिनन्द.…

कोई विवेकानंद है हम में कोई झांसी की रानी,
कल्पना, चाणक्य बनेंगे हमने मन में है ठानी,
भाभा और कलाम हमीं में, प्रेमचंद, तुलसी, रहिमन.…
भारत माँ के बच्चे हम, करें राष्ट्र का अभिनन्द.….

हम अनुशासनप्रिय सेनानी,सच्चाई केअनुगामी,
माता-पिता, गुरु के हाथों ये मशाल हमने थामी, 
विद्यालय से सीखा हमने मात-पिता को करे नमन.… 
भारत माँ के बच्चे हम, करें राष्ट्र का अभिनन्द.…. 
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यह रचना मैंने एक स्कूल के लिए लिखा था, जिसमें भारत माँ की जगह स्कूल के नाम का short form प्रयुक्त किया गया है.....

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

मैं प्रस्तुत रचना का संपादित प्रारूप प्रस्तुत कर रहा हूँ | आशा है इसका नया प्रस्तुतिकरण आपको पसंद आयेगा......
आप से अनुरोध है कि आप मेरे Youtube के Channel पर भी Subscribe और Like करने का कष्ट करें ताकि आप मेरी ऐसी रचनाएं पुन: देख और सुन सकें |

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रविवार, 25 जनवरी 2015

मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो

गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक देशभक्ति गीत प्रस्तुत है | सभी ब्लॉगर बन्धुओं को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....आप इसे YOUTUBE पर सुन सकते है.....

सभी आगे बढ़े बढ़ते रहें ये ही निरंतर हो।
न लड़का कम किसी से हो न लड़की कोई कमतर हो।
न हो बेरोजगारी और अब कोई न हो अनपढ़,
मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो ।


न हों अब धर्म के झगड़े न हो अब जाति की बातें,
न दंगे हों कहीं पर भी न हों आतंक की घातें ,
कहीं भी हम कभी भी जा सकें तो भय रहित जाएं,
सुरक्षित दिन हमारा हो सुरक्षित रात भी हर हो ।
मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो।

हरेक चेहरे पे हो मुस्कान न कोई गमजदा अब हो,
न आलस, झूठ, भ्रष्टाचार, बेईमानी यहाँ अब हो,
कोई भी गिर पड़े तो मिल के हम उसको उठा लेंगे,
सभी के दिल में ही सहयोग का अब भाव गोचर हो।
मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो।

दिलों को जोड़ लेंगे हम, गमों को छोड़ देंगे हम,
जरूरत गर पड़ी तो रास्तों को मोड़ देंगे हम,
पड़ोसी मुल्क जो भी अब हमें आँखें दिखाएगा,
तो ऐसा हो भी सकता है कि वो भारत के अन्दर हो।
मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो।

न आँसू आँख में आये, न कोई दृष्टि कातर हो,
न अब इंसान और इंसान में अब कोई अंतर हो,
सभी का लक्ष्य बस भारत को अब आगे बढ़ाना हो,

सभी  के पास भारत माँ के कुछ प्रश्नों का उत्तर हो ।
मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो।

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